दिल्ली हाई कोर्ट ने तृणमूल कांग्रेस की निष्कासित सांसद महुआ मोइत्रा से गुरुवार को कहा कि वे सरकारी आवास में बने रहने के लिए संपदा निदेशालय से संपर्क करें। जस्टिस सुब्रमण्यन प्रसाद ने कहा कि कानून अधिकारियों को ये अधिकार देते हैं कि वे असाधारण परिस्थितियों में किसी निवासी को निर्धारित सीमा से ज्यादा समय तक रुकने की इजाजत दे सकते हैं।
उन्होंने कहा, "संपदा निदेशालय के सामने एक अभ्यावेदन पेश करें और वहां कानून के अनुरूप कार्रवाई की जाएगी।" अदालत ने मोइत्रा को मौजूदा याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी है। ये देखते हुए कि कानून के अनुसार किसी निवासी को परिसर से बेदखल करने से पहले नोटिस देना अनिवार्य है, अदालत ने कहा, "हमें ये कहने की जरूरत नहीं है कि सरकार याचिकाकर्ता को कानून के मुताबिक ही बेदखल करने के लिए कदम उठाएगी।"
मोइत्रा ने अपनी याचिका में आग्रह किया था कि संपदा निदेशालय के 11 दिसंबर के आदेश को रद्द कर दिया जाए या वैकल्पिक रूप से उन्हें 2024 के लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने तक सरकारी आवास में रुके रहने की इजाजत दी जाए।
लोकसभा में पिछले साल आठ दिसंबर को संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने तृणमूल सांसद मोइत्रा को गलत व्यव्हार करने के लिए सदन से निष्कासित करने का प्रस्ताव रखा था, जिसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। इससे पहले लोकसभा की आचार समिति ने मोइत्रा को पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में गलत व्यव्हार करने का दोषी पाया था और उन्हें सदन से निष्कासित करने की सिफारिश की थी।