पैसे लेकर सवाल पूछने के मामले में लोकसभा सदस्यता रद्द किए जाने के बाद टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मोइत्रा को शुक्रवार को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था, जब सदन ने अपनी आचार समिति की रिपोर्ट को अपनाया, जिसमें उन्हें अपने फैयदे के लिए एक व्यवसायी से गिफ्ट और अवैध संपत्ति लेने के मामले में दोषी पाया गया था।
पैनल की रिपोर्ट पर तीखी बहस के बाद मोइत्रा को बोलने की इजाजत नहीं दी गई। संसदीय कार्य मंत्री प्रल्हाद जोशी ने "अनैतिक आचरण" के लिए तृणमूल सदस्य को निष्कासित करने के लिए प्रस्ताव पेश किया, जिसे वॉइस वोट से पारित किया गया।
अपने निष्कासन पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मोइत्रा ने इस कार्रवाई को "कंगारू अदालत" की तरफ से फांसी दिए जाने के बराबर बताया और आरोप लगाया था कि सरकार विपक्ष की आवाज को दबाने के लिए संसदीय पैनल को अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल कर रह रही है।