नई दिल्ली: भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और साक्ष्य अधिनियम की जगह लेने वाले तीन विधेयकों पर विचार कर रही एक संसदीय समिति ने कुछ विपक्षी सदस्यों की इस दलील को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को अपनी मसौदा रिपोर्ट को स्वीकार नहीं किया कि उन्हें इसका अध्ययन करने के लिए और समय चाहिए। अब गृह मामलों से संबंधित स्थायी समिति की बैठक छह नवंबर को होने की उम्मीद है।
सूत्रों ने बताया कि कांग्रेस के पी. चिदंबरम समेत कुछ विपक्षी सदस्यों ने समिति के अध्यक्ष बृजलाल को पत्र लिखकर मसौदा रिपोर्ट का अध्ययन करने और अपने विचार दाखिल करने के लिए और समय मांगा है क्योंकि इसमें तीन अलग-अलग विधेयक शामिल हैं।
औपनिवेशिक युग के आपराधिक कानूनों में पूरी तरह से बदलाव की पैरवी करते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले मानसून सत्र के दौरान लोकसभा में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 को बदलने के लिए तीन विधेयक पेश किए थे।
इन तीनों विधेयकों को भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के साथ नाम दिया गया है। इन विधेयकों की छानबीन के लिए सदन ने इनको स्थाई समिति के पास भेज दिया था।