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मारपीट मामले में मजिस्ट्रेट ने दोनों पक्षों को सुनाई अनोखी सजा, मामूली झगड़े को लेकर पहुंचे थे अदालत

Meerut: मामूली विवादों में अक्सर लोगों के बीच में मुकदमेबाजी हो जाती है मारपीट हो जाती है जेल चले जाते हैं और फिर मुकदमे की पैरवी करने में लंबा समय कोर्ट कचहरी के चक्कर काटने में गुजर जाता है। लेकिन मेरठ के सिटी मजिस्ट्रेट ने एक नई पहल करते हुए मारपीट के मामले में दोनो आरोपी पक्षों को अपना आचरण में सुधार करने का मौका देते हुए जेल ना भेज कर अपने ही न्यायालय के बाहर अगले आदेश तक एक साथ आकर बैठने का आदेश दिया है। दोनों ही पक्ष के दो-दो लोग सुबह को सिटी मजिस्ट्रेट साहब के न्यायालय के बाहर आकर बैठ जाते हैं और फिर शाम तक वहीं बैठे रहते हैं फिलहाल दोनों ही पक्ष आपस में समझौता करने को भी तैयार है।

दरअसल, पूरा मामला मेरठ के थाना कोतवाली क्षेत्र के तोपचीवाडा के रहने वाले दो पक्षों में एक मकान को लेकर विवाद हो गया था। दोनों ही पक्षों में मारपीट हो गई एक पक्ष इमरान व अकबर है तथा दूसरा पक्ष अय्यूब व जावेद हैं। इसके बाद मामला थाना कोतवाली पहुंचा और वहां पर भी दोनों ही पक्ष आपस में भिड़ गए पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया और शनिवार को दोनों पक्षों को मेरठ के सिटी मजिस्ट्रेट अनिल कुमार की अदालत में पेश किया। इसके बाद मेरठ के सिटी मजिस्ट्रेट ने दोनों ही पक्षों को सुना और जेल न भेजकर गलती सुधारने के लिए मौका दिया और अगले आदेश तक दोनों ही पक्षों को लगातार सुबह से लेकर शाम तक सिटी मजिस्ट्रेट न्यायालय पर आकर एक साथ बैठने के आदेश दिए इसके बाद दोनों ही पक्ष के दो-दो लोग मजिस्ट्रेट साहब के आदेश अनुसार सुबह 10:00 बजे कार्यालय खुलने पर कलेक्ट्रेट पहुंच जाते हैं और उपस्थिति दर्ज करते हैं और शाम तक वहीं बैठे रहते हैं ,इस अनोखी सजा से दोनों ही पक्ष सुधारते भी नजर आ रहे हैं और आपस में समझौता करने की भी तैयार हैं।

एक पक्ष के इमरान का कहना है कि उनका दूसरे पक्ष से मकान को लेकर विवाद हो गया था और हमें सजा दी है। दोनों पक्ष सुबह से शाम तक यहां आते हैं शांति व्यवस्था बनाने के लिए , हम यहां सुबह आ जाते हैं रोज यहां आने के आदेश दिए हैं।

वहीं इसी पक्ष के अबरार का कहना है कि जज साहब ने आदेश दिए हैं। शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए दोनों ही पक्षों को यहां रोज आना पड़ेगा। अच्छी पहल की है शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए लोगों को सीख मिलेगी की आपस में लड़के किसी का कोई फायदा नहीं है। अभी तो आपस में हम लोगों ने बात नहीं की है लेकिन जल्द ही हमारे बड़े लोग बैठकर बात करेंगे। मजिस्ट्रेट साहब की तरफ से यह पहल बहुत अच्छी है आज हमें यहां बैठते हुए तीसरा दिन है वह बताते हैं कि उन्होंने बीटेक किया है।

वहीं दूसरे पक्ष के अय्यूब का कहना है कि वह झगड़ा में नहीं थे लेकिन उनके बेटे नाम लिखवा दिया गया, सुबह शाम यहां साइन किए जाते हैं आने के बाद , अब हम फैसला करने को भी तैयार हैं , दोनों का नहीं पता अगले आदेश तक के लिए कहा गया है।

वहीं इस मामले में मेरठ के सिटी मजिस्ट्रेट अनिल कुमार का कहना है कि दोनों ही पक्ष आपस में लड़ रहे थे थाने में भी इन लोगों ने लड़ाई की थी। इसलिए दोनों पक्ष को बुलाया गया था और मुझे लगा कि इनको जेल भेज देंगे तो विवाद और ज्यादा बढ़ जाएगा तो हमने दोनों ही पक्षों को कहा है कि यहां प्रतिदिन आएंगे ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे। हमने कहा है कि प्रतिदिन न्यायालय में उपस्थित होंगे और अब यह लोग समझौता करने को तैयार हैं। प्रतिदिन आएंगे और जब यह लिखकर दे देंगे कि अब विवाद नहीं करेंगे तभी इनको न्यायालय में आने से छूट मिल पाएगी। अभी तक हमने आदेश दिया है कि प्रतिदिन आना है। हमारा यह मकसद है कि यह पड़ोसी हैं आपस में मिलजुल कर बैठेंगे बातचीत करेंगे और हमने उनको समझाया भी अलग से कानूनन जो भी है वह आपस में बातचीत करके निबटा लीजिए लड़ाई झगड़े से कुछ मिलने वाला नहीं है।