सहारा ग्रुप के चीफ सुब्रत रॉय के निधन के बाद निवेशकों का ध्यान अपनी जमा-पूंजी पर दोबारा आ गया है। मंगलवार रात में सुब्रत रॉय का 75 साल की उम्र में निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमारी से जूझ रहे थे। सुब्रत रॉय पर सहारा ग्रुप में कई विनियामक और कानूनी उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। वैसे तो सहारा ग्रुप ने इन आरोपों से इनकार किया था। 2012 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सुब्रत रॉय को जेल जाना पड़ा था। वह 2016 में पैरोल पर जेल से बाहर आए थे।
2011 में पूंजी बाजार नियामक सेबी ने सहारा समूह की दो कंपनियों - सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसआईआरईएल) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसएचआईसीएल) को वैकल्पिक रूप से ज्ञात कुछ बांडों के माध्यम से लगभग 3 करोड़ निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया।
यह आदेश नियामक के फैसले के बाद आया कि दोनों कंपनियों ने उसके नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके धन जुटाया था। सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त, 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा, जिसमें दोनों कंपनियों को निवेशकों से 15 प्रतिशत ब्याज के साथ निवेशकों की राशि को वापस करने का आदेश दिया था।